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न भेजो प्रभु ....!!!




न भेजो ऐसे द्वार प्रभु...!
जहां चोखट न लांघ पाऊ...!!
न कदमो को रोक सकू मैं...!
बस दरवाजे की सांकल बन जाऊ...!!

न भेजो ऐसे परिवार प्रभु...!
जहां जन्म से ही पराई कहाऊ...!!
माँ बाबा को बोझ लागु मैं...!
जहां  मौल से मैं ब्याही जाऊ...!!

न भेजो ऐसे संसार प्रभु...!
जहां खुद को सलामत न पाऊ...!!
हर एक  आँख  से घूरी जाऊ मैं..!
और हर गली मैं दबोची जाऊ...!!

न भेजो ऐसे अन्धकार प्रभु...!
जहां  अंधे लोगो में गिनी जाऊ...!!
रौशनी भरने की कोशिश करू मैं...!
या खुद आग मैं जला दी जाऊ....!!

न भेजो प्रभु .. न भेजो....!!!


हम हमेशा कहते है.."SAVE GIRLS", " STOP FEMALE FOETICIDE"..
पर क्या कभी आपने  सोचा है.. हम जिस बेटी को दुनिया में लाना चाहते है .. क्या वो हमारी दुनिया में सुरक्षित है..???


Comments

  1. कन्या भ्रूण हत्या पर एक सशक्त रचना ।

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  2. न भेजो प्रभु .. न भेजो....!!!

    हम हमेशा कहते है.."SAVE GIRLS", " STOP FEMALE FOETICIDE"..

    क्या बात कही....सम्पूर्ण सार को इन संक्षिप्त शब्दों में आपने रख दिया है...

    अतिसुन्दर रचना...!!!

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  3. उम्दा, बेहतरीन अभिव्यक्ति...बहुत बहुत बधाई...

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  4. bahut khoobsurat likha hai............

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  5. बहुत सुन्दर प्रस्तुति!

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  6. Quite good...m not a grt reader or listner...but very nice to read them...keep it up..:)

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  7. Nice and meaning ful lines. . .carry on,

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पुजारिन......!!!

मैं तो तेरी पुजारिन हूँ प्रभु, न जानू मैं तेरा पूजन....! न उपासना का ज्ञान मुझे, जानू तो बस तेरा सिमरन ....!! हर पलछिन तेरा नाम जपु मैं, करू मैं तेरा चिंतन....! फिर क्यों फासे कष्ट जाल में देके मुझको जीवन....!! कैसे प्रभु तुम मेरे जो उद्धार न सको मेरा मन ....! कैसे पाप किये मेने जो कर न सको तुम नियोजन .....!! न मंगू मैं वैभव सुख का, न मांगू धन का लोभन....! मांगू इतने कष्ट में तुझसे घिस घिस बन जाऊ में कुंदन....!! तुझसे इतनी आस करू मैं भर दो दुख से दामन ....! न इच्छा हसने की मुझको, रोऊ मैं भर-भर अखियन.....!! तेरी भक्ति को कर्म मनु मैं करू तुझको जीवन अर्पण...! मैं तो तेरी पुजारिन हूँ प्रभु, करू मैं  तुझको नमन.....!!

ENHANCE YOUR THINK BEYOND THE WORLD

The Happy man is the man who lived objectively, who had free affection and wide interest, who secure his happiness through these interest and affection. To be the recipient of affection is a potent cause of happiness. The main reason of unhappiness is that he thinks only about cause of his unhappiness. He continues to be self -centered and therefore does not get outside. Although this difficulty is real, there is nevertheless much that he can do if he has rightly diagnosed his trouble. So think Objectively not Subjectively