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Showing posts from January, 2013

दुविधा...!!!!

मन ऐसो मेलन भरा, ते तन सुच्चो कैसो कहाय ...! जे सोचु हरी ते पाप हरे, ते पूजन न सुहाय ...!! ऐसो दुविधा सांस लगी, न निति कोई सुझाय ...! तर जाऊ मैं पाप ते, या खुद ने देउ डुबोय ....!!