सोचा आज के चलो....
सूरज की रौशनी में खुद को भिगो देते है.....
आँखों को आज खुशियों से डुबो देते है....
फेला के अपने दोनों हाथ ..
खड़े हो गये...
उसे देखने को...
की कब उसकी नजर हम पर पड़ेगी...
और मेहरबान होकर मुझ पर बरसेगी...
हाथो को तैयार रखा था..
मुट्ठी में बदलने को...
उसकी रौशनी को ... समेटने को.....
आंखे बंद किये खड़े थे इंतजार में .....
की.....
एक अंधियारी सी महसूस हुई.
जब देखा तो एक बादल....
मेरी खुशियों के बीच आ चूका था .....
और एक ही पल में ....
बरस पड़ा मुझ पर.....
उसके पानी में ही मेरे आसू भी बह गये...
और हम वही पर तरसे से ही रह गये.....
हमारी किस्मत में एक रौशनी भी नसीब नहीं .....
हम फिर उसी अँधेरी राह पे गुम होके चल दिए.....
सूरज की रौशनी में खुद को भिगो देते है.....
आँखों को आज खुशियों से डुबो देते है....
फेला के अपने दोनों हाथ ..
खड़े हो गये...
उसे देखने को...
की कब उसकी नजर हम पर पड़ेगी...
और मेहरबान होकर मुझ पर बरसेगी...
हाथो को तैयार रखा था..
मुट्ठी में बदलने को...
उसकी रौशनी को ... समेटने को.....
आंखे बंद किये खड़े थे इंतजार में .....
की.....
एक अंधियारी सी महसूस हुई.
जब देखा तो एक बादल....
मेरी खुशियों के बीच आ चूका था .....
और एक ही पल में ....
बरस पड़ा मुझ पर.....
उसके पानी में ही मेरे आसू भी बह गये...
और हम वही पर तरसे से ही रह गये.....
हमारी किस्मत में एक रौशनी भी नसीब नहीं .....
हम फिर उसी अँधेरी राह पे गुम होके चल दिए.....
dubara kiya hai comment but ab yaad nai aa raha pichli baar kya kiya tha
ReplyDeletephir bhi i would like to say sachi heart touching hai.......
Dil ko Chou gaya hai aapka yai ahsaas. Roshni ho ya pani haatho may sametena to mushkil hai dono ka. Koshish hum fir bhi kartay hai dil ki tassalli kay liye. bahut khoob Anandji :)
ReplyDeleteकाफी अच्छे से शब्दों को उकेरा है आपने .... i like it
ReplyDeleteशब्द जैसे ढ़ल गये हों खुद बखुद, इस तरह कविता रची है आपने।
ReplyDeleteकृपया वर्ड वेरिफिकेशन हटा लें ...टिप्पणीकर्ता को सरलता होगी ...
ReplyDeleteवर्ड वेरिफिकेशन हटाने के लिए
डैशबोर्ड > सेटिंग्स > कमेंट्स > वर्ड वेरिफिकेशन को नो NO करें ..सेव करें ..बस हो गया........